सरकार द्वारा सैनिकों की अग्नीवीर योजना के माध्यम से केवल चार साल के भर्ती करने के निर्णय पर देश में खूब बवाल हुआ। लोगों ने और सेना में जाने का सपना संजो रहे अभ्यार्थियों ने सवाल किया कि चार साल बाद वो कहां जाएंगे? चार साल बाद बेरोज़गारी का सवाल आने पर सरकार ने कहा कि तमाम सरकारी विभागों में अग्नीवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी। कई बीजेपी शासित राज्यों ने कहा कि वो अग्नीवीरों को नौकरी में प्राथमिकता देंगे। लेकिन पहले से मौजूद आंकड़े इन वादों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 14 साल बाद सेना की नौकरी करने के बाद रिटायर्ड सैनिकों की भर्ती सरकारी विभागों में न के बराबर होती है।
Directorate General Resettlement (DGR), की जून 30, 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक 10 प्रतिशत ग्रुप सी और 20 फीसदी ग्रुप डी की पोस्ट एक्स सर्विसमेन के लिए सेंट्रल गर्वमेंट डिपार्टमेंट में रिज़र्वड हैं। लेकिन सरकार के 77 में से 33 डिपार्टमेंट में केवल 1.29 प्रतिशत ग्रुप सी और 2.66 प्रतिशत ग्रुप डी की पोस्ट पर ही एक्स सर्विसमेन काम कर रहे हैं। यानि ग्रुप सी के कुल 10,84,705 कर्मचारियों में 13,976 और ग्रुप डी में 3,25,265 में केवल 8,642 ही पूर्व सैन्यकर्मी हैं।
सरकार का कहना है कि वो 4 साल बाद सेवामुक्त होने वाले अग्नीवीरों के लिए 10 फीसदी पद सीआरपीएफ, आरपीएफ, बीएसफ, आईटीबीपी जैसे सुरक्षा तुकड़ियों में आरक्षित रखेगी। लेकिन मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि 14 साल बाद सेना में काम करने के बाद भी सैनिकों को रिटायरमेंट के बाद किसी विभाग में प्राथमिकता नहीं मिलती। इसलिए उन्हें कोई छोटा मोटा काम ही करना पड़ता है। अब ज़रा अलग-अलग सरकारी विभागों में एक्स सर्विसमेन के लिए आरक्षित पद और उनपर काम कर रहे पूर्व सैनिकों का आंकड़ा देखते हैं ।
कितने पूर्व सैन्यकर्मियों को मिली दोबारा नौकरी?
CAPFs/ CPMFs
ग्रुप सी में 0.47%
ग्रुप बी में 0.87%
ग्रुप ए में 2.20%
पैरामिलिट्री फोर्स ( CRPF, RPD< ITBP< BSF)
0.62%
पब्लिक सेक्टर युनिट (PSUs)
फिक्सड कोटा एक्स सर्विसमेन के लिए 14.5% ग्रुप C और 24.5% ग्रुप डी में
काम कर रहे हैं केवल
ग्रुप सी 1.15%
ग्रुप डी 0.3%
पब्लिक सेक्टर बैंक
फिक्सड कोटा एक्स सर्विसमेन के लिए 14.5% ग्रुप C और 24.5% ग्रुप डी में
काम कर रहे हैं केवल
ग्रुप सी 9.10%
ग्रुप डी 21.34%
कोल इंडिया में 251 पोस्ट फिक्स हैं एक्स सर्विसमेन के लिए लेकिन एक भी पद पर पूर्व सैनिक की भर्ती नहीं। इंडियन रेलवेभारतीय रेल जो रोज़गार का सबसे बड़ा ज़रिया है, यहां केवल 1.4 प्रतिशत पदों पर पूर्व सैनिक काम कर रहे हैं।
अब बात करते हैं बयानवीर राज्यों की। Bihar, UP, Punjab, and Haryana, से देश के 80 फीसीदी सैनिक आते हैं लेकिन इन्होने केवल 1.5 प्रतिशत पूर्व सैनिकों को नौकरियां दी हैं। जबकि इन राज्यों में 2 लाख से ज्यादा सैनिक जॉब के लिए रजिस्टर कर चुके हैं।
क्या वजह है कि सरकारी दफ्तरों में पूर्व सैनिकों के पद खाली पड़े रहते हैं?
स्टेट सैनिक बोर्ड के अधिकारी कहते हैं कि इन राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए पद तो आरक्षित हैं लेकिन ये आर्मी द्वारा दिए गए ग्रैजुएशन सर्टिफिकेट को मान्यता ही नहीं देते।
एक आर्मीमेन, एयरमैन और एख सेलर दसवी के बाद सेना ज्वाईन करता है। 15 साल बाद आर्मी उन्हें ग्रैजुएशन सर्टिफिकेट देती है। या तो कई राज्य इन सर्टिफिकेट्स को मानते नहीं है या फिर अगर मान भी लें तो इन एक्स सर्विसमेन को कंम्पीटीटिव एग्ज़ाम्स निकालने में मुश्किल होती है क्योंकि ये ग्रैजुएशन लेवल का नॉलेज मांगते हैं।
माना जा रहा है कि एक्स सर्विसमेन को सरकारी नौकरियां इसलिए भी नहीं मिलती क्योंकि उनमें उस पर्टिकुलर जॉब को करने की स्किल्स नहीं होती। इसलिए आरक्षित पद खाली पड़े रहते हैं। इस बारे में कई बार एक्स सर्विसमेन को ज़रुरी स्किल्स देने की मांग की गई है. डीजीआर के मुताबिक ये गवर्मेंट नौकरियां इसलिए भी खाली पड़ी रहती है क्योंकि या तो एक्ससर्विस मेन इन पोस्ट पर अप्लाई ही नहीं करते या फिर वो इनमें काम करने की योग्यता नहीं रखते।
सैनिक बोर्ड के अधिकारी कहते हैं कि पूर्व सैनिक एंट्रेंस एग्ज़ाम निकालने में सक्षम नहीं होते।
Department of Personnel & Training ने कई बार पीएसयू और अन्य सरकारी विभागों से अपील की है कि एक्ससर्विसमेन को स्टैंडर्ड में रिलैक्सेशन मिलना चाहिए। लेकिन ये विभाग अभी तक पूर्व सैनिकों के लिए नियमों में ढील देने को तैयार नहीं हुए हैं।
चलिए माना कि बैंकों और पीएसयू में काम करने के लिए आपको स्किल्ड लेबर की ज़रुरत है। लेकिन डिफेंस के अन्य सशस्त्र बलों में पूर्व सैनिकों को काम क्यों नहीं दिया जाता? इसपर बताया जाता है कि पूर्व सैनिकों के साथ कम करने में सशस्त्र बल के सैनिक सहज नहीं होते।
आपको बता दें कि जून 2021 तक देश में कुल एक्स सर्विसमेन की संख्य 26,39,020 है जिसमें 22,93,378 आर्मी 1,38,108 नेवी और 2,07,534 एयरफोर्स से हैं।
14 साल बाद नौकरी करने के बाद एक सैनिक के लिए कंपटीटीव एग्ज़ाम की तैयारी करना और फिर से पढ़ाई करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन अग्नीवीरों को शायद ये परेशानियां नहीं होगी क्योंकि 25 साल की उम्र में दोबारा पढ़ाई शुरु की जा सकती है।
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